स्टॉक्स में SIP कैसे करें?

नमस्कार दोस्तों

म्यूचुअल फंड में SIP कैसे करते हैं? ये तो आपने सुना ही होगा बहुत ही सिंपल और स्ट्रेट फॉरवर्ड प्रोसेस है। लेकिन आजकल बहुत लोग स्टॉक में SIP कर रहे हैं। लेकिन स्टॉक्स में SIP करना म्यूचुअल फंड में SIP करने से बहुत ही अलग है। क्योंकि म्यूचुअल फंड में प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स स्टॉक मार्केट में आपका पैसा इन्वेस्ट करते हैं। लेकिन वही अगर आप डायरेक्ट स्टॉक मार्केट में अपने खुद का पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो आपको कुछ criteria और parameters follow करने पड़ेंगे। तो आज के आर्टिकल में हम जानेंगे की SIP इन्वेस्टमेंट क्या होता है। और स्टॉक्स में SIP इन्वेस्टमेंट करते टाइम stocks selection का criteria क्या होता है और इनवेस्टमेंट करने के parameters क्या होते हैं। इन सारी चीजों को हम डिटेल में जानेंगे।

सबसे पहले देखते हैं कि SIP इन्वेस्टमेंट क्या होता है? तो SIP का मतलब होता है सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान जो कि एक तारिके का इन्वेस्टमेंट मेथड है जहां पर आप छोटे अमाउंट में पैसा इन्वेस्ट करते हैं और यह इन्वेस्टमेंट आप weekly , monthly या quarterly basis पे कर सकते है। और आप किसी स्पेशल तारीख को भी कर सकते है। उदाहरण के लिए अगर आप 10000 का सिप इन्वेस्टमेंट करते हैं हर माहिना आमतौर पर बहुत सारे लोग पहले तारीख से लेकर 5 तारिख के बीच में ही शिप इन्वेस्टमेंट कर देते हैं ताकि पैसे खर्च करने से पहले ही इनवेस्ट हो जाए।

अब सवाल ये है कि SIP इनवेस्टमेंट क्यों करना चाहिए और इसका जवाब है की बहुत लोगों के पास लम-सम कैपिटल नहीं होता है यानी लोगों के पास एक ही टाइम पर इनवेस्ट करने के लिए बहुत ज्यादा पैसे नहीं होते हैं तो ऐसे मामले में SIP निवेश किया जा सकता है। क्योंकि अगर आप पैसे निवेश नहीं करेंगे तो आप पैसे किसी ना किसी तारिके से खर्च जरूर करेंगे और इसी आदत को बदलने के लिए और निवेश की आदत और अनुशासन अपने अंदर लाने के लिए सिप निवेश आपकी मदद कर सकता है। और long term cash corpus create करने के लिए SIP इन्वेस्टमेंट सबसे उपयुक्त निवेश विकल्पों में से एक भी मन जाता है।

SIP इन्वेस्टमेंट को अगर आप 12% के वार्षिक रिटर्न के साथ कैलकुलेट करेंगे तो अगर आप हर माह ₹2000 का निवेश करते हैं 40 साल की अवधि के लिए। तो आपने total 9.6 लाख का निवेश किया लेकिन आपका पैसा 40 साल में कंपाउंड होने के बाद करीब 2.4 करोड़ रुपये बन जाएंगे। वही अगर आप 30 साल के लिए निवेश करेंगे तो आप 7.2 लाख निवेश करेंगे और आपका फाइनल कॉर्पस होगा करीब 70.6 लाख और वही अगर आप 20 साल के लिए निवेश करेंगे तो आपकी निवेश राशि होगी 4.8 लाख और आपका फाइनल कॉर्पस होगा २० लाख और वही अगर आप 10 साल के लिए निवेश करेंगे तो आपकी निवेश राशि होगी 2.4 लाख और आपका अंतिम कॉर्पस होगा 4.6 लाख।

इस डेटा में आपने देखा की निवेश राशि के बीच में उतना ज्यादा अंतर नहीं है लेकिन यहां जो Numbers of Year है उसकी वजह से आपके final corpus में बहुत बड़ा difference देखने को मिल रहा है। इस से हम समझ सकते है की जितने लंबे समय तक आप निवेशित रहेंगे उतना ही ज्यादा profit कमाएंगे। वारेन बफेट हमेशा ही बोलते हैं की जल्दी निवेश करना शुरू करें और लंबे समय तक निवेशित रहें क्योंकि यह दोनों ही पावर ऑफ कंपाउंडिंग का मूल सिद्धांत है जहां पर टाइम में जितना ज्यादा बीतता जायेगा पावर ऑफ कंपाउंडिंग उतना ही ज्यादा स्ट्रॉन्ग होता जाएगा।

सिप करने का दूसरा कारण है – Rupee Cost Averaging
जब भी मार्केट Low पर होता है तो हमें Buy करना चाहिए और जब भी मार्केट High पर होता है तो हमें sell करना चाहिए। या आप लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए इस प्रिंसिपल को ऐसे भी इंटरप्रेट कर सकते हैं कि जब भी मार्केट हायर लेवल पर होता है तो आपको कम Buy करना चाहिए और जब भी मार्केट लोअर लेवल पर होता है तो आपको ज्यादा Buy करना चाहिए। इन सब प्रिंसिपल को आमतौर पर प्रोफेशनल इनवेस्टर्स हर टाइम फॉलो करते है। क्योंकि उनका मार्केट नॉलेज बहुत ही स्ट्रॉन्ग होता है और वह डेली बेसिस पर मार्केट को ट्रैक करते हैं।

लेकिन जो भी रिटेल इन्वेस्टर्स होते हैं उन्हें आमतौर पर पता नहीं लगता है कि मार्केट कब लोअर लेवल पर है या मार्केट कब हायर लेवल पे है
और इसको analyze करने के लिए रिटेल इनवेस्टर्स के पास उतना ज्यादा टाइम भी नहीं होता है क्योंकि सारे रिटेल इनवेस्टर्स फुल टाइम जॉब में होते हैं या फुल टाइम बिजनेस चलते हैं तो इसके बीच में टाइम निकलकर यह study करना की कब कम खरीदना है या कब ज्यादा खरीदना है ये डिसाइड करना थोड़ा मुश्किल होता है । तो ऐसे निवेशकों के लिए सिप काम आता है क्योंकि सिप अपने आप जो रूपी कॉस्ट एवरेज होता है उसे फॉलो करता है क्योंकि एसआईपी में आप हर माहिना जो निवेश करते हैं वह रकम फिक्स होता है

उदाहरण के लिए मान लिजिये अगर आप ₹10000 का सिप निवेश करते हैं हर माह और आप निवेश किसी विशेष स्टॉक मे कर रहे है।
अगर स्टॉक का प्राइस ज्यादा हो जाता है तो आप स्टॉक को कम खरीदेते हैं और वही अगर स्टॉक का प्राइस कम हो जाता है तो आप अपने आप स्टॉक की ज्यादा मात्रा ख़रीदते हैं और ऐसा क्यों है क्योंकि यहां आपका जो निवेश राशि है वह निश्चित है यानी आप हर माहिना 10000 रुपये ही निवेश कर रहे हो मूलधन है।
इसीलिए जब आप SIP इन्वेस्टमेंट करते हो तो Rupee Cost Averaging का core principle है Buy Less In High Market And Buy More In Low Market ये ऑटोमेटिकली यहाँ पर fulfil हो जाता है।
इन सारे कारण कि वजह से जो फुल टाइम जॉब में है या फुल टाइम बिजनेस चलते हैं उनके लिए सिप निवेश बहुत ही ज्यादा उपयुक्त भी होता है।

अगर आप सिप म्युचुअल फंड में करते हैं तो वहां आपका पैसा प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स मैनेज करते हैं जिसे पैसा कहां पर निवेश हो रहा है उसके बारे में आपको चिंता करने की जरूरत नहीं होती है लेकिन वही अगर आप अपना पैसा directly स्टॉक मार्किट में खुद ही इन्वेस्ट करते है ऐसे मामले में आपको कुछ पैरामीटर और कुछ क्रिटेरिएस को ध्यान में रखना पड़ेगा। क्योंकि यहां पर जब भी आप सिप इन्वेस्टमेंट करते हैं तो वह लॉन्ग टर्म के लिए होता है और लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट में capital safety और capital growth Ensure करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है।

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